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आसमान से हथियार गिराने वाले पुरुलिया में इस बार कहां होगी वोटों की बारिश, BJP को मिलेगा दूसरा मौका!

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पश्चिम बंगाल की पुरुलिया लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस बार यहां चुनाव में कुर्मी समुदाय के अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने के लिए संघर्ष करने के बीच औद्योगीकरण की कमी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे हावी हैं. पुरुलिया सीट कुर्मी बहुल क्षेत्र हैं. यहां भारतीय जनता पार्टी-बीजेपी के मौजूदा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो, तृणमूल कांग्रेस के पूर्व मंत्री शांतिराम महतो और कांग्रेस के नेपाल महतो के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है. ये सभी उम्मीदवार कुर्मी समुदाय से आते हैं. सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) ने भी युवा छात्र नेता सुष्मिता महतो को खड़ा किया है.

बीजेपी ने पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस-टीएमसी के उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की थी. अब फिर से कुर्मी समुदाय का समर्थन पाने के लिए बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में कुर्मी सुमदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने का दावा किया है.

कांग्रेस प्रत्याशी नेपाल महतो ने दावा किया कि पुरुलिया में जाति के आधार पर मतदान नहीं होगा बल्कि लोग बुनियादी आजीविका के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए वोट डालेंगे. उन्होंने कहा कि पुरुलिया के लोग केंद्र में एक धर्मनिरपेक्ष उदार लोकतांत्रिक सरकार चाहते हैं.

उधर, बीजेपी और टीएमसी, कांग्रेस की शासन नीतियों की आलोचना करते हुए उसे भ्रष्टाचार और विकास मुद्दे पर लगातार घेर रही है.

भाजपा क्षेत्र का औद्योगिक विकास का वादा करने के साथ-साथ राम मंदिर जैसे भावनात्मक मुद्दों को भुनाकर स्थानीय हिंदू वोट बैंक भी पाने की कोशिश कर रही है क्योंकि पिछले चुनाव में इसी आधार पर पार्टी को जीत मिली थी. दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस विकास कार्ड पर भरोसा कर रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रघुनाथपुर में 62,000 करोड़ रुपये की औद्योगिक पार्क परियोजना शुरू करने की योजना बना रही हैं. इसके अलावा ममता बनर्जी ने ‘लक्ष्मी भंडार’, ‘कन्याश्री’ और ‘सबुजसाथी’ जैसी कई सामाजिक कल्याण योजनाओं की पहले ही घोषणा कर दी थी.

मौजूदा सांसद और बीजेपी उम्मीदवार ज्योतिर्मय सिंह महतो ने जहां टीएमसी पर खोखले वादे करने और वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है. वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र सरकार द्वारा वर्षों से बंगाल के साथ कथित भेदभाव का आरोप लगाते हुए पलटवार किया है.

सिद्धो-कान्हो-बिरशा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक देबाशीष घोराई ने कहा कि अधिकांश राजनीतिक दलों ने कुर्मी समुदाय के उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा है. ऐसे में वोट बट सकते हैं, जिससे तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के जीतने की संभावनाएं कम हो सकती है.

पुरुलिया सीट के बाघमुंडी के मूल निवासी ज्योतिर्मय सिंह महतो ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार ने अपने घोटालों के कारण लोगों का विश्वास खो दिया है.

तृणमूल के शांतिराम महतो ने एक अलग राग अलापते हुए कहा कि तृणमूल कांग्रेस सरकार की कई सामाजिक कल्याण परियोजनाओं ने लोगों के मन में गहरी छाप छोड़ी है. उन्होंने कहा कि पुरुलिया में विकास प्रमुख मुद्दा है. यहां बड़ी संख्या में गरीब लोग रहते हैं.

कांग्रेस उम्मीदवार नेपाल महतो ने पुरुलिया में औद्योगीकरण की कमी और रोजगार के अवसरों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया. उन्होंने आरोप लगाया कि पेयजल, रोजगार और पर्यटन जैसे मुद्दों को टीएमसी सरकार द्वारा लगातार नजरअंदाज किया गया है, जबकि भाजपा का एकमात्र एजेंडा धार्मिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करना है.

पुरुलिया लोकसभा सीट
पुरुलिया लोकसभा सीट पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है. बीजेपी के ज्योतिर्मय सिंह महतो ने 2019 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की डॉ. मृगांका महतो को 2,04,732 वोटों से परास्त किया था. कांग्रेस के नेपाल महतो महज 84,477 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे. ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के बीर सिंह महतो 68 हजार वोट पाकर चौथे स्थान पर थे.

2014 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी. उस समय टीएमसी के डॉ. मृगांक महतो ने फॉरवर्ड ब्लॉक के नरहरी महतो को हराकर जीत हासिल की थी. उस समय बीजेपी के बिकास बनर्जी 86 हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे.

पुरुलिया लोकसभा सीट किसी जमाने में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक का गढ़ हुआ करती थी. फॉरवर्ड ब्लॉक ने 1977 से लेकर 2014 तक लगातार 10 बार जीत हासिल की थी. पुरुलिया लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 7 सीटें आती हैं. इनमें 5 सीटों पर बीजेपी और दो पर टीएमसी का कब्जा है.

(इनपुट भाषा से)

Tags: 2024 Lok Sabha Elections, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Purulia, West bengal news

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