कृष्णा कुमार गौड़/जोधपुर: माताओं को अपने बच्चों से बड़ा प्रेम और स्नेह होता है. यही वजह है कि बच्चे सभी के बिना रह सकते हैं, लेकिन मां के बिना उनका रह पाना बहुत मुश्किल होता है. बच्चों के बड़े हो जाने पर भी मां की जगह कोई नहीं ले पता. हालांकि, कई ऐसे बच्चे भी होते हैं जिन्हें दुर्भाग्य से अपनी मां का प्यार और दुलार नहीं मिल पाता और उन्हें जीवन भर इसका दर्द रहता है. ऐसे बच्चों को भी जोधपुर में मां मिल जाती हैं.
जोधपुर में एक संस्थान है जहां एक-दो नहीं बल्कि बच्चों का लालन-पालन करने वाली 28 मां हैं. ये माताएं 42 बच्चों का पालन-पोषण करती हैं. ये माताएं भले ही उन बच्चों की सगी मां नही हैं, लेकिन ये बच्चों को प्यार-दुलार अपने बच्चों जैसा ही देती हैं. खास बात यह कि ये सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि पूरे 24 घंटे और 365 दिन उन बच्चों की देखरेख करती हैं।
पुरुष होकर भी खुद को मानते हैं बच्चों की मां
सूर्यनगरी जोधपुर के एनजीओ नवजीवन संस्थान द्वारा संचालित लवकुश संस्थान में पलने वाले बिन मां-बाप के 42 बच्चों को अपने प्यार से सींचकर बड़ा करने वाली 28 माताओं को अपने काम पर गर्व है. संस्थान के संचालक राजेन्द्र सिंह परिहार पुरूष होने के बावजूद खुद को इन बच्चों की मां ही मानते है और इन बच्चों को मां और बाप दोनों का प्यार देते हुए खुशी की अनुभूति करते हैं. बच्चे भी राजेन्द्र को छोटी-छोटी बातें ऐसे बताते हैं जैसे अपनी मां को बता रहे हों.
इन बच्चों का होता है लालन-पालन
जोधपुर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र में स्थित लवकुश संस्थान में बड़े हो रहे बच्चे ऐसे हैं जिन्हें कुछ जोड़ों ने बेरहमी से कभी कूडेदान में तो कभी बहते हुए गंदे नाले या फिर कचरे के ढेर में डाल दिया था. मदर्स-डे पर इन बच्चों को संभालने वाली 28 माताओं को हर कोई सलाम कर रहा है क्योंकि जिस तरह अपना घर-परिवार छोडकर ये माताएं इन बच्चों को अपने बच्चों की तरह प्यार और दुलार देती हैं वह शायद ही कोई करता होगा।
लवकुश संस्थान में आने वाले बच्चों का केवल लालन-पालन ही नहीं बल्कि उन्हें पढ़ा-लिखाकर अपने पैरों पर भी खड़ा किया जाता है और उनका विवाह भी कराया जाता है. ऐसे में लोकल 18 भी इन माताओं को सलाम करता है.
राजस्थान में किसी एनजीओ की पहली मदर मिल्क बैंक
मां का दूध नहीं मिलने के कारण प्रतिवर्ष देश भर में जहां कई बच्चों की मौत हो जाती है तो कई कुपोषण के शिकार हो जाते हैं. ऐसे बच्चों के लिए लवकुश संस्थान में मदर मिल्क बैंक भी संचालित किया जाता है. विदेशी मशीनों से लैस मिल्क बैंक से शिशुओं को ह्यूमन मिल्क उपलब्ध कराया जाता है जो कि उन बच्चों के लिए किसी जीवनदान से कम नहीं है.
बच्चों को दूध पिलाने वाली मां अतिरिक्त दूध को मिल्क बैंक में दान कर देती हैं. दान किए गए इस दूध को प्रोसेस करके -20 डिग्री टेंप्रेचर पर मिल्क बैंक में सुरक्षित रखा जाता है, जिससे जरूरतमंद शिशुओं को दूध मिल पाता है. दान करने की तिथि से 6 माह तक इस दूध को इस्तेमाल किया जाता है. राजस्थान की यह पहली मदर मिल्क बैंक है जो किसी एनजीओ द्वारा स्थापित की गई है.
इसलिए की मदर मिल्क बैंक की स्थापना
राजेन्द्र परिहार ने कहा कि लवकुश संस्थान में जो बच्चे आते हैं उनकी इम्यूनिटी पॉवर बहुत ही कमजोर होती है जिसे बढाने के लिए मां का दूध बहुत जरूरी होता है. इसीलिए संस्थान में एक मदर मिल्क बैंक स्थापित किया गया है.
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FIRST PUBLISHED : May 12, 2024, 13:37 IST