बलिया. अब तक आपने ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक और पुरातात्विक इतिहास के बारे में बेहद सुना होगा. लेकिन ये कहानी है इतिहास बताने वाले के इतिहास के बारे में. वो हैं बलिया के प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय. जो कभी तंत्र-मंत्र और हिमालय जाकर महात्मा बनना चाहते थे. लेकिन, यहां भी संतुष्टि न मिलने के कारण कण-कण में इतिहास खोजने लगे. उन्होंने अब तक अनेक शोध करते हुए सिर्फ बलिया पर ही दर्जनों किताबें छापी हैं.
गरम दल के नेता थे पिता
इतिहासकार डाॅ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने लोकल 18 से बताया कि उनके पिताजी स्व. रामाशीष सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस के गरम दल में शामिल होकर आजादी के आन्दोलन में भाग लिया. कौशिकेय बताते हैं कि उनका जन्म बलिया शहर में ही हुआ. बचपन से स्वभाव का अल्हड़ था. मैंने इतिहास पुरातत्व से पीएचडी की. इण्टरमीडिएट तक गृह जनपद में पढ़ाई के बाद आरएसएस का प्रचारक भी बना लेकिन, कहीं मन रमा नहीं.
तंत्र-मंत्र सीखने से खिन्न होकर खोजने लगा इतिहास
इतिहासकार डाॅ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय लोकल 18 को बताया कि पढ़ाई के बाद वे आध्यात्म की ओर झुके तंत्र—मंत्र से खिन्न होकर हिमालय चले गए. हिमालय के सिद्धाश्रम पद्मपुरी क्षेत्र में निवास के दौरान एक महात्मा मिले उन्होंने कहा कि जो तुम ढूँढ रहे हो वह तुम्हारे अन्दर है, यहां से लौट जाओ. अपनी मातृभूमि की सेवा करो. तब से मैंने बलिया जिले के पौराणिक ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सांस्कृतिक धरोहरों और इतिहास पर शोध कार्य शुरू किया जो अब तक जारी है.
बलिया के कोने-कोने पर छापी किताब
इतिहासकार ने कहा कि उन्होंने दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी. पहली पुस्तक कामाश्रम के तीन संस्करण छपे, जिसकी पच्चीस हजार से अधिक प्रतियां बिकी, भृगुक्षेत्र महात्म्य, वसुधैव कुटुम्बकम की अप्रत्याशित बिक्री ने मुझे ख्याति के साथ आर्थिक सहयोग भी दिया. यूपी सरकार के राज्य अभिलेखागार की क्षेत्रीय ईकाई वाराणसी ने कौशिकेय की पुस्तक 1942 की अगस्त क्रांति और बलिया को अभिलेख के रूप में छापा. बलिया के अमर शहीद मंगल पाण्डेय का प्रामाणिक इतिहास ‘क्रांति का प्रथम नायक मंगल पाण्डेय’ छपा था. वर्तमान समय में डॉ. ‘पुरावशेषों में राम’ और स्वराज के पुरोधा पर कार्य कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 12, 2024, 17:54 IST