गया. तरबूज की खेती मुनाफे का धंधा हो सकती है. ये कम समय में ही आपका खजाना भर सकती है. बिहार के गया जिले के किसानों ने इसे अपनाया और आज नतीजा सामने है. कम समय में ही ये किसान रिकॉर्ड कमाई कर चुके हैं. तरबूज की फसल मुश्किल से दो तीन महीने की होती है लेकिन इतने में ही जेब भर जाती है.
इन्हीं में से एक हैं गया शहर के चंदौती में रहने वाले धर्मेंद्र कुमार. धर्मेंद्र बाजार समिति के पीछे 6 एकड़ में तरबूज की खेती कर रहे हैं. इनके खेत में हर चौथे दिन तीन से चार टन तरबूज का उत्पादन हो रहा है. इन्होंने जन्नत वेरायटी का तरबूज लगाया है जो 60-70 दिन की फसल है. तरबूज की खेती से हर चौथे दिन धर्मेंद्र को 70 हजार रुपये की आय हो रही है. वो दो महीने में लगभग 10 लाख रुपए कमा चुके हैं.
हर तीसरे चौथे दिन 4 टन तरबूज
जन्नत प्रजाति के तरबूज की खासियत यह होती है कि इसका प्रति एकड़ 25 टन तक उत्पादन होता है और खाने में अन्य तरबूज की तुलना में अधिक मीठा होता है. पिछले साल भी ट्रायल के तौर पर धर्मेंद्र ने 10 कट्ठा में तरबूज लगाया था. उसमें फायदा होने के बाद इन्होंने इस वर्ष 6 एकड़ में लगाया है. धर्मेन्द्र ने आरा की नर्सरी से तरबूज के पौध मंगवाए थे. और फरवरी माह में अपने खेतों में लगा दिया था. अब उनके खेत से हर तीसरे चौथे दिन 4 टन तक तरबूज निकल रहे हैं. इस प्रजाति के तरबूज की डिमांड सबसे अधिक पटना में है. आम तरबूज की तुलना में इसका रेट भी अधिक है. थोक भाव में किसान इसे 20 रुपये किलो तक बेच रहे हैं.
पूरी तरह ऑर्गेनिक खेती
धर्मेंद्र ने चंदौती में 14 बीघा जमीन लीज पर ले रखी है. इसमें वो तरबूज के साथ अन्य फल और सब्जियों की खेती भी करते हैं. धर्मेंद्र खरबूजा, खीरा और हरी सब्जियां भी उगाते हैं वो भी पूरी तरह जैविक विधि से. इन्होंने 14 बीघा जमीन पर आर्गेनिक फर्म प्रोजेक्ट बनाया है जहां साल भर जैविक सब्जी और फल का उत्पादन करते हैं. इन्होंने अपने खेतों में ड्रिप सिंचाई और मल्चिंग लगा रखा है जिससे कम पानी में बेहतर उत्पादन हो रहा है. इनकी फसल गया के साथ नवादा और पटना जिले तक सप्लाई हो रही है. अलग वैरायटी होने के कारण लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं.
FIRST PUBLISHED : May 11, 2024, 03:08 IST