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पति की मौत के बाद इसलिए नहीं रोई वीना, आज सभी बच्चें हैं सेटल

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लखनऊ: समाज में कई ऐसी महिलाएं हैं जो न केवल अपने परिवार का नींव बनती हैं, बल्कि अपने संघर्ष और दृढ़ संकल्प से समाज के लिए भी प्रेरणा भी बनती हैं. ऐसी महिलाएं यह भी दिखाती हैं कि मनुष्य के इच्छाशक्ति और संघर्ष की कोई सीमा नहीं होती. लखनऊ की रहने वाली वीना सोनकर दरियाबादी की कहानी भी ऐसी ही प्रेरणादायक है.

वीना ने पति की असमय मृत्यु होने के बाद अकेले ही अपने चार बच्चों का पालन-पोषण कर उन्हें सफलता के शिखर तक पहुंचाया. वीना का मानना है कि रोने से समस्याओं का समाधान नहीं होता, बल्कि कर्म करने से हल निकलता है.

कंधों पर आ गई बच्चों की जिम्मेदारी
वीना ने बताया कि उनकी शादी को 40 साल हो चुके हैं और इस दौरान वह सिर्फ साढ़े चौदह साल ही अपने पति के साथ रह सकीं और पति के साथ गुजारे वक्त का उन्हें पता ही नहीं चला. उनके पति शहर से बाहर एक बैंक में मैनेजर थे लेकिन, अचानक लिवर खराब होने से उनकी मौत हो गई. पति की मौत ने वीना की जिंदगी को हिला दिया. पति की मृत्यु के बाद चार बच्चों के परवरिश की सारी जिम्मेदारी अकेले वीना के कंधों पर आ गई. उस समय बच्चों की उम्र महज 2.5 से 12 साल के बीच थी. इतने कठिन समय में जहां किसी का भी हौसला पस्त हो सकता था ऐसे कठिन समय में भी वीना ने खुद को संभाला और  अपने बच्चों के लिए भी एक मजबूत स्तंभ बनीं.

पति के फंड्स से चुकाया कर्ज
पति की मौत के वक्त उनके घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी और कर्ज भी था. वीना ने पति के बचे हुए फंड्स से कर्ज भी चुकाया. वीना का कहना है कि उन्होंने बच्चों के सामने कभी आँसू नहीं बहाए क्योंकि उन्हें इस बात का एहसास था कि अगर वह कमजोर पड़ जातीं तो उनकी देखभाल कौन करता?

आलोचना से नहीं डरीं वीना
वीना का कहना है कि हर व्यक्ति की सफलता के पीछे किसी न किसी का सहयोग जरूर होता है और उनके साथ भी ऐसा ही हुआ. एक फरिश्ते ने उनके बुरे समय में साथ दिया और आज भी हर मुश्किल में उनके साथ खड़ा रहता है. इसको लेकर अक्सर उनकी आलोचना भी करते हैं, लेकिन वीना ने कभी इसकी परवाह नहीं की. उनका मानना है कि अगर कोई व्यक्ति किसी की परेशानी में साथ देता है तो यह सराहनीय है.

वीना ने बताया कि पति जिस बैंक में काम करते थे उसी बैंक में उन्हें एक छोटी सी नौकरी मिली. हालांकि, यहां वह जितनी मेहनत करती थीं उस हिसाब से सैलरी नहीं थी. इससे उनका घर भी नहीं चल पाता था और इसको लेकर वीना असंतुष्ट थीं.

वीना ने पति के देहांत के बाद पूरी की 12वीं की पढ़ाई
इसके बाद वीना ने सोचा कि अच्छी नौकरी और सैलरी के लिए शिक्षा का उच्च स्तर जरूरी है और वीना ने उच्च शिक्षा के लिए अपनी पढ़ाई जारी रखी. पति की मृत्यु के कुछ वर्षों बाद जब उनकी बड़ी बेटी निमिषा ग्रेजुएशन कर रही थी तब वीना ने उससे सलाह मांगी कि क्या वह 12वीं की पढ़ाई पूरी कर सकती हैं. मां के विचार का बेटी निमिषा ने पूरा समर्थन किया और दोनों ने मिलकर पढ़ाई शुरू की और बेटी निमिषा अपनी मां को पढ़ाया. परीक्षा के परिणामों में वीना ने शानदार प्रदर्शन किया और अव्वल आईं. उनकी इस सफलता के कुछ समय बाद उन्हें उसी बैंक में हेड कैशियर के पद पर प्रमोशन मिल गया. इससे उनकी आर्थिक परिस्थितियों में सुधार होने लगा.

निमिषा कहती हैं कि उनके परिवार का समय ऐसा बदला कि मम्मी और हम बच्चों ने मिलकर न केवल घर को संभाला बल्कि हम चारों भाई-बहनों का भविष्य भी उज्ज्वल हुआ. आज निमिषा एक सरकारी अस्पताल में जेआरओ है. उनका एक भाई बैंक ऑफ बड़ौदा में ब्रांच मैनेजर के रूप में काम कर रहा है और दूसरा भाई आर्किटेक्ट है. सबसे छोटी बहन एमबीए करने के बाद एचआर के क्षेत्र में काम कर रही है.

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