केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के मुंबई उत्तर से उम्मीदवार पीयूष गोयल ने नेटवर्क18 के ग्रुप एडिटर इन चीफ, राहुल जोशी के साथ एक विशेष इंटरवयू में फतवे और तुष्टिकरण की राजनीति की निंदा करते हुए कहा है कि 26/11 के शहीद और तत्कालीन स्पेशल टास्क फोर्स के प्रमुख हेमंत करकरे पर की गई टिप्पणी करना शर्म की बात है.
जमीयत उलेमा ने फतवा जारी किया है कि मुसलमानों को कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी को वोट देना चाहिए. जवाब में, राज ठाकरे, जो भाजपा के साथ हैं, ने कहा कि उन्होंने भी एक “फतवा” जारी किया है कि सभी हिंदुओं को भाजपा, शिंदे सेना और अजीत पवार को वोट देना चाहिए. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए गोयल ने कहा, ”राज ठाकरे जी कोई धार्मिक नेता नहीं हैं. उन्होंने ये बात गुस्से में कही है. यह एक तरह की प्रतिक्रिया और पलटवार है. किसी को भी गुस्से में फतवे जारी करने का अधिकार नहीं है.”
फतवा धर्म गुरुओं द्वारा धर्म के आधार पर जारी किया जाता है. हम फतवे की कड़ी निंदा करते हैं. इस तरह का फतवा जारी करने से सामाजिक सौहार्द्र खत्म होता है. राज ठाकरे जी एक राजनीतिक नेता हैं… राजनीतिक नेता अपील करते हैं, अपने विचार रखते हैं और लोगों का समर्थन और आशीर्वाद मांगते हैं. उन्होंने गुस्से में इस शब्द का इस्तेमाल किया था.”
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “किसी भी मौलवी या किसी धार्मिक गुरु को इस तरह का फतवा जारी करने का अधिकार नहीं है. क्या आपने कभी किसी अन्य धार्मिक गुरु को फतवा जारी करते हुए सुना है कि इस पार्टी को ही वोट दें नहीं तो भगवान नाराज हो जाएंगे या इसका आपकी धार्मिक आस्था पर बुरा असर पड़ेगा? मेरा मानना है कि धर्म और राजनीति को नहीं मिलाना चाहिए. यह देश धर्मनिरपेक्ष है. धर्मनिरपेक्ष देश में हम सभी को अपने धर्म का पालन करना चाहिए.’ राजनीति में, हमें राजनीतिक और ठोस मुद्दों पर चुनाव लड़ना चाहिए,
कांग्रेस नेता के इस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि हेमंत करकरे की हत्या भाजपा प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थक पुलिसकर्मी ने की थी, आतंकवादी अजमल कसाब ने नहीं, गोयल ने कहा, “यह शर्म की बात है. कांग्रेस कम से कम सेना को तो छोड़ सकती है. कांग्रेस, उद्धव ठाकरे जी, यह एमवीए या तथाकथित महाविकास अघाड़ी (एमवीए), इन सभी को कम से कम हमारे सशस्त्र बलों का मनोबल नहीं तोड़ना चाहिए, कम से कम उनके बलिदानों को कम नहीं करना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा, “बाटला हाउस में भी उन्होंने यही किया. कश्मीर में भी उन्होंने बार-बार हमारी सेना के जवानों को एक तरह से अपमानित किया. पत्थर फेंकने वाले उनके लिए अच्छे थे. अब जब अनुच्छेद 370 हटने के बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, तो उन्हें यह नहीं दिख रहा है कि लोगों के जीवन में किस तरह का बदलाव आया है.”
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— News18 (@CNNnews18) May 12, 2024
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FIRST PUBLISHED : May 12, 2024, 19:39 IST