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बूढ़ा पहाड़ के बूथ पर पहली बार लोगों ने वोट डाला, हवाई जहाज से आए मतदानकर्मी

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झारखंड में 37 वर्षीय हलकान किशन ने पलामू लोकसभा सीट के तहत आने वाले और कभी माओवादियों का गढ़ रहे बूढ़ा पहाड़ के अपने मतदान केंद्र में सोमवार को पहली बार वोट डाला. किशन ने हेसातु में बूथ संख्या 420 में अपना वोट डाला. झारखंड के लातेहार और गढ़वा जिलों के पास स्थित बूढ़ा पहाड़ को तीन दशक से अधिक समय के बाद सुरक्षा बलों ने हाल में नक्सलियों के चंगुल से मुक्त कराया है. यहां लोकसभा चुनाव के चौथ चरण में 13 मई, सोमवार को वोड डाले गए. झारखंड की चार लोकसभा सीट सिंहभूम, लोहरदगा, खूंटी और पलामू में सोमवार को वोट डाले गए.

बारगढ़ ब्लॉक के तहत आने वाले हेसातु के निवासी किशन ने कहा, “मैंने जीवन में पहली बार अपने बूथ पर अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. पहले इलाके में माओवादियों के प्रभाव के कारण हमारा बूथ मेरे गांव से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर दिया जाता था. उस स्थान पर वोट डालने के लिए कुछ ही लोग जाते थे.”

मेदिनीपुर अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) अनुराग तिवारी ने बताया कि मतदान केंद्र पर भारी संख्या में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती के बीच मतदान कराया गया. उन्होंने बताया कि चुनाव कराने के लिए मतदान अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों को रविवार को हवाई मार्ग से बूढ़ा पहाड़ पर उतारा गया.

एक अन्य मतदाता 50 वर्षीय विक्रम यादव ने बताया, “मैंने बिना किसी परेशानी के अपना वोट डाला. मैं अपने गांव सौराट से लगभग पांच किलोमीटर पैदल चलकर बूथ तक आया और मुझे रास्ते में भी कोई सुरक्षा संबंधी समस्या नहीं हुई क्योंकि वहां सुरक्षा बलों की तैनाती है.”

बारगढ़ के ब्लॉक प्रोग्रामिंग अधिकारी मोहम्मद हाशिम अंसारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मतदाताओं के लिए शेड, पीने के पानी और एम्बुलेंस जैसी कई व्यवस्थाएं की गईं. इसके अलावा, बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के लिए वाहनों की भी व्यवस्था की गई.

झारखंड के मुख्य निर्वान अधिकारी के. रवि कुमार और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के 20 अप्रैल के दौरे के बाद बूथ संख्या 420 पर मतदान किया गया.

बूढ़ा पहाड़ को वामपंथी उग्रवादियों से मुक्त कराने के अभियान की शुरूआत अप्रैल 2022 में आरंभ किए गए तीन विशेष अभियानों के माध्यम से की गई थी.

नक्सलियों का गढ़ था बूढ़ा पहाड़
झारखंड का बुढ़ा पहाड़ किसी समय में नक्सलियों का एक सुरक्षित गढ़ हुआ करता था. यहां नक्सलियों की अदालत लगती थी. नक्सलियों का आतंक इतना ज्यादा था कि पुलिस यहां तक आती ही नहीं थी. घने जंगलों से घिरे बूढ़े पहाड़ के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर थे. अप्रैल-सितंबर 2022 को स्थानीय पुलिस और अर्द्धसैनिकों के संयुक्त ऑपरेशन के बाद इस जगह को माओवादियों के आतंक से मुक्त कराया गया. इस ऑपरेशन में बड़ी संख्या में नक्सली मारे गए और लगभग 600 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया. सुरक्षा बलों ने यहां पर ऑपरेशन ऑक्टोपस, ऑपरेशन बुलबुल और ऑपरेशन थंडर चलाया था.

(Input from PTI)

Tags: Jharkhand news, Loksabha Election 2024, Loksabha Elections, Palamu news

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