शाश्वत सिंह/झांसी. मां को लोग कई रूपों में देखते हैं. एक मां तो वह होती है जो हमें जन्म देती है. लेकिन, कई बार कोई ऐसी महिला भी जीवन में आती है जिसे लोग मां का ही दर्जा देते हैं. ऐसी ही एक रिश्ता है गजेंद्र और डॉ. श्वेता पांडेय का. कागजों में तो यह एक शिक्षिका और छात्र की जोड़ी है. पर उससे भी ज्यादा यह जोड़ी एक मां और बेटे की है. विश्वविद्यालय समेत पूरी झांसी के लोग इन्हें मां-बेटे के ही रुप में जानते हैं.
गजेंद्र ने बताया कि 7 साल पहले जब वह बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में बीएफए की पढ़ाई करने आए थे, उस समय यह दुनिया उनके लिए बिल्कुल नई थी. यहां तक की एडमिशन के समय भी कुछ समस्या सामने आ गई थी. उस समय डॉ. श्वेता पाण्डेय ने हर कदम पर उनका साथ दिया. एक मां की तरह उन्हें सही और गलत के बीच का फर्क समझाया. अनजान शहर में उनके लिए सहारा बनकर खड़ी रही. प्रोफेशनल के साथ पर्सनल लाइफ की समस्याओं को भी सुना और सही मार्गदर्शन दिया.
गजेंद्र अन्य छात्रों से अलग
गजेंद्र और डॉ. श्वेता पाण्डेय के इस रिश्ते को पूरी झांसी जानती है. मां-बेटे की इस जोड़ी की हर कोई तारीफ करता है. डॉ. श्वेता पाण्डेय ने कहा कि एक शिक्षिका के तौर पर उनके पास हर साल बच्चे आते हैं. लेकिन, कुछ बच्चे ही ऐसे होते हैं जो बेहद खास हो जाते हैं. गजेंद्र जब आया था तो उसका व्यवहार सबसे अलग था. उसका प्यार और लगाव एक बेटे की तरह ही था. वह मां की तरह ही मेरा ख्याल रखता है.
FIRST PUBLISHED : May 11, 2024, 20:26 IST