राधाष्टमी भगवान और मनुष्य के बीच एक अद्वितीय संबंध का प्रतीक है, जो श्रीकृष्ण और राधारानी के निःस्वार्थ दैवीय प्रेम बंधन को दर्शाता है। इस साल राधा अष्टमी का पर्व 11 सितंबर को मनाया जाएगा।
Radha Ashtami 2024: हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बरसाने में राधा रानी का जन्म हुआ था। इस दिन को राधा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। राधाष्टमी भगवान और मनुष्य के बीच एक अद्वितीय संबंध का प्रतीक है, जो श्रीकृष्ण और राधारानी के निःस्वार्थ दैवीय प्रेम बंधन को दर्शाता है। इस साल राधा अष्टमी का पर्व 11 सितंबर यानी आज मनाया जाएगा।ऐसी मान्यता है कि राधाष्टमी का व्रत व पूजन करने से घर पर सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है।
साल में एक बार होते हैं चरणों के दर्शन
राधाजी वृंदावन की अधीश्वरी हैं। वृंदावन से 43 किलोमीटर दूर बरसाना के ब्रह्माचल पर्वत पर राधारानी लाडली सरकार स्वरूप में विराजती हैं। राधारानी का ये दरबार श्री जी दरबार के नाम से भी प्रसिद्ध है। श्री यानी लक्ष्मी कहते हैं कि इस दरबार में राधारानी प्रेम के अखंड आशीर्वाद के साथ-साथ धन और ऐश्वर्य का भी वरदान देती हैं।
जब राधाष्टमी का त्योहार करीब आता है तो राधे के भक्त राधे की धुन में सराबोर होकर यहां पहुंचते हैं। राधाष्टमी ही वह दिन होता है, जब भक्तों को श्री जी के चरणों के शुभ दर्शन प्राप्त करते हैं। अन्य सभी दिनों में राधा के पैर ढके रहते हैं।
राधाष्टमी पर कैसे करें राधारानी की पूजा?
इस दिन सुबह नहाने के बाद राधाजी की धातु या पाषाण की प्रतिमा लाएं। इसे पंचामृत से स्नान कराके नए वस्त्र धारण कराएं। फिर दोपहर के समय मंडप के भीतर ताम्बे या मिट्टी के बर्तन पर दो वस्त्रों में राधाजी की मूर्ति स्थापित करें। इन्हें भोग लगाकर धूप, दीप, पुष्प, फल, फूल अर्पित करें। राधाजी की आरती उतारें।