नई दिल्ली. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ विपक्ष का इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ का आरोप लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की हार को छिपाने के लिए जमीन तैयार करने का एक बहाना है.
नेटवर्क18 समूह के प्रधान संपादक राहुल जोशी के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, गोयल ने बताया कि कैसे गांधी परिवार ने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री ईडी, सीबीआई और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बिना चुनाव नहीं जीत पाएंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन जानता है कि वे चुनाव हार जाएंगे और इसीलिए वे राहुल एवं गांधी-नेहरू परिवार को बचाने के लिए एक ‘मूर्खतापूर्ण कहानी’ बना रहे हैं.
उन्होंने कहा, “…यह एक बहुत ही मूर्खतापूर्ण बयान है. वे पहले से ही जानते हैं कि वे हारने वाले हैं, इसलिए अब वे यह छिपाने के लिए एक कहानी के लिए आधार तैयार कर रहे हैं कि यह राहुल गांधी की हार है. इसलिए वे ईवीएम को दोष देंगे. तब वे शरद पवार या यहां तक कि उद्धव ठाकरे को भी दोषी ठहरा सकते हैं. उन्हें सिर्फ राहुल गांधी और गांधी-नेहरू परिवार को बचाना है.”
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री, जो मुंबई उत्तर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव में पदार्पण कर रहे हैं, ने कहा कि यदि ईवीएम में कोई गड़बड़ी हुई है, तो कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों को यह कहते हुए तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए कि ईवीएम से किए गए विधानसभा चुनाव परिणाम ग़लत हैं.
उन्होंने कहा, “कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस ने चुनाव जीता; इसलिए उन्हें तुरंत यह कहते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए कि ईवीएम के नतीजे गलत हैं. उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए और कहना चाहिए कि वे सरकार नहीं बनाएंगे और वे चुनाव के लिए मतपेटियां वापस चाहते हैं. तो, ऐसे में उन्हें फैसला लेने दीजिए.”
पीयूष गोयल ने कहा कि जब कोई निर्णय उनके पक्ष में नहीं आता था तो विपक्ष भारत की शीर्ष अदालत की आलोचना करके और जब यह उनके लाभ के लिए होता था तो उसकी सराहना करके उच्चतम न्यायालय को “भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल” करता था. उन्होंने कहा, “वे सुप्रीम कोर्ट को भी भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करते हैं कि अगर कोई फैसला उनके पक्ष में जाता है, तो कहते हैं कि ‘लोकतंत्र बच जाता है, सत्यमेव जयते’, सुप्रीम कोर्ट की सराहना की जाती है. लेकिन, अगर फैसला रामलला के मंदिर निर्माण के पक्ष में आता है, तो वे सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हैं…”
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FIRST PUBLISHED : May 12, 2024, 19:29 IST