Uttarpradesh || Uttrakhand

वाह! सोच हो तो ऐसी…ग्रामीणों को थी आर्थिक परेशानी तो सरपंच में फ्री कर दी यह व्यवस्था, अब चकाचक है गांव

Share this post

Spread the love

इंदौर: मध्य प्रदेश के चोरल गांव की अपनी खास पहचान है. घने जंगल और नदी से घिरा यह गांव प्रकृति की सुंदरता के बीच सुकून का अहसास करवाता है. इंदौर से महज 35 किलोमीटर दूर खंडवा रोड पर बसे चोरल गांव के चारों तरफ नदी, जंगल और पहाड़ है. इस प्राकृतिक सौंदर्य के बीच 2,500 से ज्यादा लोगों की आबादी रहती है. लेकिन इनमें से 80 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन गुजारते हैं. इनको निशुल्क सेवा मिले इसके लिए वर्तमान सरपंच अशोक सैनी ने अनूठी पहल की है. इसकी चर्चा सभी जगह हो रही है.

अच्छी सुविधा मिल रही है निशुल्क
इस खूबसूरत गांव में रहने वाली जनता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण सरपंच अशोक सैनी ने रहवासियों को पानी और कचरा शुल्क माफ किया है. सैनी बताते हैं कि चोरल में गरीबी ज्यादा है, इसलिए पानी फ्री में मिलेगा. वहीं, कचरे वाली गाड़ी भी रोजाना आती है, लेकिन उसका शुल्क भी ग्रामीणों से नहीं लिया जाता है. ग्रामीणों के मुताबिक पिछली पांच वर्षीय कार्यकाल के दौरान सैनी ने पंचायत के मार्फत फ्री में पानी दिया था. मगर कचरा गाड़ी गांव में नहीं आती थी. अब यह अच्छी सुविधा भी ग्रामीणों को निःशुल्क मिल रही है. हालांकि यहां से निकल रहे बायपास से ग्रामीण चिंता में हैं.

मजदूरी, किसानी ही यहां के मुख्य रोजगार 
गांव में मजदूर और किसानों की संख्या ज्यादा है. हालांकि, अधिकांश किसानों के पास 4-5 बीघा से ज्यादा जमीन नहीं है, इसलिए वे सिर्फ जीवन ही व्यतीत कर रहे हैं. इसके अलावा अधिकांश युवा नौकरी करने के लिए इंदौर जाते हैं. वे रोजाना आना-जाना करते हैं.

बायपास से रोजगार ठप
इंदौर से एलहाबाद तक बनने वाला बायपास अब चोरल के जंगल से गुजर रहा है. फिर यह गांव मुख्य सड़क से कट जाएगा, यहां ढाबे और मेन रोड की दुकानों का व्यापार ठप हो जाएगा. जबकि इंदौर के करीब यह सबसे अच्छा पिकनिक स्पॉट है. बारिश के तीन महीने बड़ी संख्या में लोग आते हैं. इससे ग्रामीणों का रोजगार चलता है. बायपास बनने से रोजगार की समस्या आने वाली है.

कद्दू के लिए प्रसिद्ध यह गांव
सफेद कद्दू और कालाकुंड के कलाकंद के लिए भी चोरल गांव मशहूर है. रेतीली काली मिट्टी होने से यहां एक समय में सफेद कद्दू की फसल होती थी. इन कद्दू से पेठा बनाया जाता था और सबसे ज्यादा सप्लाई राजस्थान, उत्तर प्रदेश में होती थी. ग्रामीण क्षेत्र होने से गाय पालन होती थी, जिसके कारण कलाकंद भी यहां बनता और बिकता था.

Tags: Indore news, Local18, Madhya pradesh, Success Story

Source link

Author:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ख़ास ख़बरें

ताजातरीन