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आकाशीय बिजली ने पशुपालकों को दिया जख्म, 121 भेड़-बकरियों की हो गई मौत, विधायक ने डीएम को कही ये बात

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Uttarakhand lightning 121 sheep and goats died in Bageshwar District Magistrate and MLA took charge- India TV Hindi

Image Source : PEXELS
आकाशीय बिजली गिरने से 121 भेड़ बकरियों की हो गई मौत

उत्तराखंड के जंगलों में जहां एक तरफ भीषण आग लगी है। वहीं दूसरी तरफ बागेश्वर के कपकोट के पिछला दानपुत्र क्षेत्र मे मंगलवार को प्रकृति की मार फिर देखने को मिली। यहां देर रात अचानक आसमानी बिजली गिरी। इस कारण पशुपालन करने वाले लोगों की 121 भेड़ व बकरियों की मौत हो गई। मिश्रा दानपुर के गोगिना गांव के पशुपालकों ने अपनी बकरियों को चुगान के लिए लमतरा बुग्याल में छोड़ा था। इसी दौरान देर रात यहां मंगलवार को आसमानी बिजली गिरी। इसमें 10 पशुपालकों की 121 भेड़ व बकरियों की मौत हो गई है। आसमानी बिजली ने बुग्याल में भेड़ पालकों को भारी नुकसान पहुंचाने का काम किया है।

121 भेड़-बकरियों की मौत

बता दें कि इसमें हर्ष सिंह पुत्र नरमल सिंह गोणिना की 30, पान सिह पुत्र नरमल सिंह की 30, सुनील सिंह पुत्र हर्ष सिंह की16, दुर्गा सिह पुत्र फते सिंह की 20, वीर राम पुत्र लालू राम की 7, भूपाल सिंह पुत्र खुसाल सिह की 8, लक्ष्मण सिंह पुत्र फते सिंह की 5, केशर सिह पुत्र भगवत सिंह की 2, हरमल सिंह पुत्र तेन सिह की 1, नरेन्द्र सिंह पुत्र श्याम सिंह की 2 बकरियों की मौत हो गई। स्थानीय विधायक ने इस घटना की सूचना जिलाधिकारी को दी। इसपर जिलाधिकारी ने कहा कि भेड़ पालकों को तत्काल राहत पहुंचाई जाए। विधायक ने प्रभावितों को तत्काल मुआवजा देने के निर्देश भी दिए हैं। साथ ही पशु चिकित्सकों की टीम को गांव भेजने के लिए कहा गया है। 

क्यों लगी है उत्तराखंड के जंगलों में आग

उत्तराखंड राज्य के 44.5 फीसदी क्षेत्रफल में जंगल मौजूद है। भारतीय वन सर्वेक्षण के मुताबिक, राज्य का वन क्षेत्र करीब 24,305 वर्ग किमी में फैला हुआ है। यहां लंबे समय तक शुष्क मौसम और अतिरिक्त बायोमास आग के प्रमुख कारक हैं। वहीं अगर प्राकृतिक घटना की बात करें तो सूखे पेड़ या बांस के आपस में रगड़ खाने की वजह से निकली चिंगारी की वजह से भी आग लगने की घटनाएं देखी जाती है जिसे दावानल कहते हैं। साथ ही बिजली गिरने के कारण भी जंगलों में आग लग जाती है। इसके अलावा राज्य में 3.94 लाख हेक्टेयर में अत्यंत ज्वलनशील माने जाने वाले चीड़ के पेड़ भी मौजूद हैं, जो आग को और बढ़ावा देता है। 

(इनपुट-आईएएनएस)

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