विक्रम कुमार झा/पूर्णिया. पूर्णिया के ई कॉमर्स कंपनी हाउस ऑफ मैथिली की चर्चा बिहार ही नहीं बल्कि अमेरिका, जापान, दुबई सहित अन्य देशों में खूब हो रही है. दरअसल, यहां पर काम कर रही महिलाएं हुनरमंद हैं तभी उनके हाथों से बने हुए सामान की धूम मची हुई है. हालांकि, इसमें स्थानीय लोकल महिलाओं के द्वारा चरखे और डिजाइनिंग मशीन पर कपड़े को खास और आकर्षक बनाया जाता है जिस कारण यहां काम करती महिलाओं में काफी खुशी देखने को मिलती है.
पूर्णिया के हाउस ऑफ मैथिली के फाउंडर मनीष रंजन ने Local 18 से बातचीत करते हुए बताया कि हाउस ऑफ मैथिली का शुरू से एक ही मोटिव रहा है कि स्थानीय महिलाओं के हाथों में छुपी कला को निखारना और उन्हें आत्मनिर्भर के साथ आंतरिक मजबूत बनाने के लिए बेहतर प्रयास करना. हालांकि, उन्होंने कहा कि पूर्णिया की इस ई कॉमर्स कंपनी का बहुत कम समय में विदेशों तक में डंका बज रहा है. तभी तो इन महिलाओं के हाथों के बने गारमेंट विदेश तक भेजे जाते हैं. उन्होंने कहा कि अभी लगभग 50 महिलाओं की टीम एक से बढ़कर एक लुक तैयार करती है, जो विदेशियों को खूब पसंद आता हैं. हालांकि उन्होंने कहा इन महिलाओं के कारीगरी के बलबूते हाल ही में अमेरिका और कैलिफोर्निया से लगभग 700 पीस, जींस, टी शर्ट और लेडीज गारमेंट सहित अन्य की ऑर्डर मिला है जिसे काम कर रही सभी महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हैं.
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महिलाओं के द्वारा तैयार कपड़े जा रहे विदेश
हाउस ऑफ मैथिली में काम कर रही स्थानीय महिलाएं बबीता झा, मनीषा झा, पूनम झा, रानी और अंजली श्रीवास्तव सहित अन्य महिलाओं ने कहां यहां काम करने में भी मजा आता हैं. आत्मनिर्भर के साथ-साथ हुनरबंद बनने की खुशी जाहिर की है. हालांकि, सभी महिलाओं ने कहा कि वह पिछले कई महीने पूर्णिया में काम की तलाश कर रही थी लेकिन उन्हें उनके लायक काम नहीं मिल पाता था लेकिन इन सभी महिलाओं में पूर्णिया के ई-कॉमर्स कंपनी हाउस को पैसे में आकर काम करने की शुरुआत की और यहां पर काम कर हुनरबंद बन रही है और अपने होना से बने कपड़े विदेश तक भेजते हैं बालाजी इंटरव्यू का विदेश में खूब डिमांड होता है. और महिलाओं की टोली में इंप्रेस.
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FIRST PUBLISHED : May 11, 2024, 19:51 IST