रितिका तिवारी/ भोपाल. कहते हैं कि बच्चे के लिए अपने माता पिता से बढ़ कर कोई नही होता है. लेकिन, आज कल के बदलते दौर में माता-पिता कहीं पीछे छूट गए हैं. बच्चे अपने साथ अपने माता पिता को रखना भी नही चाहते है. उन्हें वो वृद्धाश्रम में छोड़ आते है.
इसी समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इन बुजुर्गों की सेवा करते हैं. उनमें से एक भोपाल के वृद्धाश्रम अपना घर को संचालित करने वाली माधुरी मिश्रा है. जिन्होंने अपना जीवन बुजुर्गों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है. उनके पास जो बुजुर्ग रहते है. उन्हें मां कह कर बुलाते हैं. उनके लिए माधुरी ही मां समान है. अभी आश्रम में कुल 25 बुजुर्ग माता पिता मौजूद हैं. जिनकी सेवा माधुरी और उनका परिवार करता है.
परिवार के सहयोग से शुरू की सेवा
माधुरी ने लोकल18 से बात चीत में बताया कि मैनें समाज सेवा अपनी माता जी को देख कर सीखा था. बचपन से माधुरी जरूरतमंदों की मदद करती हैं.माधुरी ने जब बुजुर्गों की सेवा करने का निर्णय लिया, तो उन्होंने किराए के घर में अपने साथ रखा है. माधुरी के पिता और पति का हमेशा सहयोग मिलता रहा है. पिता के पेंशन की कमाई से वो सेवा करती थी. माता पिता के गुजर जाने के बाद भाइयों ने एक घर उन्हे उपहार स्वरूप दिया. यहां पर अभी उनका वृद्धाश्रम चल रहा है. उसे घर का साहियोग के साथ लोगों द्वारा फंड दिया गाय. माधुरी लोगों की मदद करती रही हैं. अभी भी वो निःशुल्क बुजुर्गों की सेवा करती हैं.
बेटी भी करती है सेवा
मां के मेहनत और समर्पण को देख छोटी बेटी ने भी बचपन से इनकी सेवा करती है. मात्र 9 साल की उम्र से छोटी बेटी विभूति बुजुर्गों की सेवा कर रही है. किसी अनाथ बुजुर्गों के गुजर जाने के बाद उन्हे आग भी दी है. विभूति आगे चल कर अपनी मां के पद चिन्हों पर चलना चाहती हैं.
सभी है परिवार का महत्वपूर्ण हिस्सा
माधुरी इन माता -पिता को हर संभव खुशी देने का प्रयास करती हैं. उनकी इक्षाओं की पूर्ति करती हैं. उन्हे घूमने ले जाती हैं. उनके साथ धूम धाम से सारे त्योहार भी मानती हैं. बुजुर्गों को कुंभ की यात्रा भी करवाई है. इसके साथ ही इन सभी का जन्मदिन भी बहुत ही धूम धाम से मानती हैं. बच्चों का, पति का और सभी बुजुर्गों का खाना एक में ही बनता है ताकि कोई भेदभाव न रहे.
Tags: Bhopal news, Hindi news, Latest hindi news, Local18, Madhya pradesh news
FIRST PUBLISHED : May 12, 2024, 19:13 IST