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दोहरी मां का फर्ज निभा रही ये रिटायर्ड शिक्षिका, नाती-पोते के लिए प्रेरणा बनी ग्रांड मदर

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दमोह. घर का आंगन महिला के बिना अधूरा सा लगता है. मां, बहन, बेटियों का हमारे जीवन में अहम भूमिका होती है. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हम आपको एक ऐसी ही ओल्ड लेडी से मिलाने जा रहे हैं, जिन्होंने जीवन के हर पड़ाव में एक ओर अपने बच्चों और परिवार को संभाला तो वहीं दूसरी ओर पर्यावरण से मोह रखने वाली ऊषा ने बगिया में लगे फुलवारी को कभी सूखने नहीं दिया.

ऊषा श्रीवास्तव ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा महाराजपुर के मिडिल स्कूल और मंडला के हायर सेकेंडरी स्कूल से पूरी की है. इनके परिवार में 6 बहने और एक भाई सहित कुल 7 लोग थे. जिनमें सबसे छोटी ऊषा थी. जिनके पिता रामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव को शिक्षा विभाग की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया था. तभी से बड़े भाई की इच्छा थी कि पढ़ाई में दिलचस्पी रखने वाली उनकी बहिन ऊषा भी शिक्षिका बने. सन 1960 में की बात है, बड़े भाई श्याम सुंदर जोकि दमोह एसपी ऑफिस में स्टेनो के पद पर पदस्थ थे. तभी से ऊषा के विवाह के लिए रिश्ते आने शुरू हो गए और उसी सन में झागर बरधारी गांव में सरकारी स्कूल में पदस्थ बद्री प्रसाद जी के साथ वे सात वचनों में बंध गई. इस बीच उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी. पति चाहते थे कि ऊषा सरकारी नौकरी करें. जिस बात को लेकर उन्होंने सागर जिले से ऊषा को 1 साल तक बीटीई ट्रेनिंग कोर्स कराया और शिक्षा विभाग में 6 दिसंबर सन 1966 को दमोह के जबेरा शासकीय कन्या शाला में ऊषा श्रीवास्तव को शिक्षिका के पद पर नियुक्ति मिली. सन 2004 में ऊषा दमोह के शासकीय स्कूल से रिटायर हो गई. इस बीच 38 वर्षों की शासकीय सेवाओं के साथ-साथ ऊषा ने पहले परिवार और फिर पर्यावरण को संभाला.

रिटायर्ड होने के बाद ऊषा फुलवारी में बिताने लगी समय
Local 18 से खास बातचीत के दौरान बुजुर्ग महिला ऊषा श्रीवास्तव ने अपने जीवन में आए उतार चढ़ाव पर प्रकाश डालते हुए बताया कि साल 2004 में रिटायर्ड होने के बाद करीब 20 साल से पर्यावरण को सबारने के लिए दिन रात काम कर रही हैं. ऊषा श्रीवास्तव अब 82 वर्षीय की हो चुकी हैं. जिन्होंने अपने बच्चों के साथ-साथ उनकी बगिया लगी फुलवारी को भी मां की ममता से सींच-सींच कर बड़ा किया है. प्रातःकाल सुबह 5 बजे से बगीचे में पौधों को पानी देना, खरपतवार की निदाई गुड़ाई से लेकर टहलने जाते समय हर व्यक्ति को पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाना ही इस ओल्ड लेडी के जीवन का आधार बन चुका है.

FIRST PUBLISHED : May 12, 2024, 21:46 IST

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