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The one she kept in her womb for 9 months turned her face away. Know the story of 70 year old helpless Ratna. – News18 हिंदी

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आगरा. देश में एक तरफ आज मदर्स डे मनाया गया तो वहीं कई मां के लिए ये काफी दर्दभरा दिन होता है. खासकर, उन मां के लिए जो अपनी संतान होने के बाद भी अनाथ आश्रम या वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर है. इन माताओं के लिए यह दिन एक बुरे सपने की तरह होता है. आगरा के रामलाल वृद्धाश्रम में रहने वाली कई माताओं की कहानी भी ऐसी ही है. इन्हीं में से एक महिला हैं, जिनका नाम रत्ना देवी हैं. श्यामो गांव की रहने वाली रत्ना देवी के आंसू पिछले सात दिनों से रुक नहीं रहे हैं. सात दिन पहले ही उनका परिवार उनको वृद्धाश्रम छोड़कर गया है.

मदर्स डे पर फूटी रुलाई

मदर्स डे के मौके पर वृद्धाश्रम पहुंची लोकल ​18 टीम को रत्ना देवी ने बताया कि उनका भरा—पूरा परिवार है. बेटे, बहू और पोते—पोतियां हैं. लेकिन, अब परिवार ने उनसे किनारा कर लिया है. रोते हुए उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले उन्हें लकवा आ जाने के कारण परिवार का सारा माहौल बदल गया. परिवार ने देखभाल के झंझट से मुक्ति पाने के लिए उन्हें वृद्धाश्रम में भेज दिया. वे कहती हैं कि कभी घर से बाहर नहीं रही. अब वृद्धाश्रम में रहना पड़ रहा है. यहां उन्हें पूरे परिवार की याद आती है. खासकर, पोते—​पोतियों की. लेकिन, यहां आने के बाद से उनसे किसी ने संपर्क नहीं किया.

खुद बेटा छोड़कर गया

70 साल की बुजुर्ग रत्ना देवी बताती हैं कि वह 7 दिन पहले आगरा सिकंदरा स्थित रामलाल वृद्धा में आई हैं. रामलाल वृद्धा आश्रम में खुद उनका बेटा छोड़ कर गया है. वे बताती हैं कि करीब दो महीने पहले उनके पैर में लकवा मार गया था. इसके बाद उनकी देखभाल को लेकर परिवार में विवाद हो गया. इसके बाद बेटा वृद्धाश्रम छोड़कर चला गया.

हालांकि, वे कहती हैं कि जल्द ही उनके परिवार वाले उनसे मि​लने आएंगे और घर वापस लेकर जाएंगे. इसके बाद वे अपने पोते—पोतियों के साथ फिर से खेल सकेंगी.

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