गया: बिहार के गया जिले के किसानों की आमदनी मूंगफली की खेती से बढ़ने वाली है. फिलहाल जिले के मानपुर प्रखंड क्षेत्र के ननौक और सोंधी गांव में लगभग 20 बीघे में मूंगफली की खेती इस वर्ष की जा रही है. पिछले साल ट्रायल के तौर पर 5 से 10 कट्ठे में मूंगफली की खेती की गई थी और अच्छी उपज होने के बाद किसानों ने इस बार इसकी खेती में दिलचस्पी दिखाई है और गांव के लगभग 40 से 50 किसान इसकी खेती से जुड़ गए हैं. मूंगफली की खेती अप्रैल महीने में शुरू हो जाती है और जून व जुलाई के महीने में इसकी हार्वेस्टिंग होती है. यह दो से तीन महीने की फसल है और प्रति कट्ठा 30 से 40 किलो तक उत्पादन होता है.
आमतौर पर गया जिले के किसान इस समय मूंग की खेती करते हैं, लेकिन मूंग की खेती में किसानों को ज्यादा बचत नहीं हो पा रहा था. इसके कारण किसानों ने खेती का ट्रेंड बदला और इस वर्ष मूंगफली की खेती शुरू कर दी. इसकी खेती में कम लागत और कम मेहनत के साथ बेहतर मुनाफा होता है. बाजारों में मूंगफली की कीमत 100 रुपए से लेकर 150 रुपए प्रति किलो है. गौरतलब है कि गया जिले का तापमान और मिट्टी भी मूंगफली की खेती को लिए उपयुक्त है. कृषि विज्ञान केंद्र भी किसानों को मूंगफली की खेती के लिए सलाह दे रहे हैं.
20 बीघा में किसान कर रहे हीं मूंगफली की खेती
इस वर्ष सोंधी और ननौक गांव में 20 बीघे से भी अधिक भूमि में मूंगफली की खेती हो रही है. जिसमें 40 से 50 किसान इसके साथ जुड़े हुए हैं. ननौक गांव के रहने वाले रमेश प्रसाद, गौरी प्रसाद, शिवनंनदन प्रसाद, वीरेन्द्र महतो, अखिलेश यादव, आनंद मोहन, पुरंजय प्रसाद, विष्णुदेव प्रसाद, राकेश कुमार, अजय प्रसाद, विजय सिंह, दिलीप, रामदहिन प्रसाद आदि इसकी खेती कर रहे हैं. गांव के लोगों ने बताया कि इसकी खेती में अन्य फसलों की तुलना में अधिक फायदा है. जिस कारण इसकी खेती शुरू किए हैं. किसानों ने बताया कि इसकी खेती में प्रतिकट्ठा दो से तीन हजार रुपए तक आमदनी होने की उम्मीद है.
मूंगफली की खेती के लिए भुरभुरी व बलुआई दोमट मिट्टी है उपयुक्त
किसानों ने गांव के हीं बीज भंडार से 150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बीज खरीद कर अप्रैल महीने की शुरुआत में इसे अपने खेतों में लगाया था. अभी लगभग 40 दिन हो चुके हैं और फसल का उत्पादन भी बढ़िया हुआ है. जून महीने तक इसकी हार्वेस्टिंग होने की उम्मीद है. मूंगफली की खेती के लिए भुरभुरी दोमट एवं बलुआई दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है. भूमि वैसी होनी चाहिए जिसमें जल निकासी होते रहे. खेत को पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जोताई की जाती है. उसके बाद कल्टीवेटर से दो जुताई करके खेत को पाटा लगाकर समतल किया जाता है. वहीं जमीन में दीमक एवं विभिन्न प्रकार के कीड़ें से फसल को बचाने के लिए क्विनलफोस 1.5 प्रतिशत 25 किलो प्रति हेक्टेयर के दर से छीड़काव कर सकते हैं.
FIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 07:35 IST