सागर: छोटे बच्चों में श्वास की बीमारी से संबंधित जो तकलीफ होती है, उसके कारण का पता चला है. सागर बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सुमित रावत के द्वारा बीमार बच्चों पर रिसर्च की गई थी. डॉक्टर की टीम ने पाया कि अभी तक जो मीजल्स का प्रकोप कुछ हद तक कंट्रोल हो गया था, वह फिर से बढ़ने लगा है, इसके अलग-अलग कारण है. इसको फिर कंट्रोल करने के लिए वैक्सीन में सुधार की आवश्यकता है या बच्चों को बूस्टर डोज दिया जाए इस संबंध में रिसर्च है.
13 जून से होने वाले इस सेमिनार में डॉक्टर सुमित रावत 15 जून को पेपर प्रेजेंटेशन देंगे है. जिस पर प्रस्तुति देने के लिए उन्हें अमेरिका के अटलांटा से बुलावा आया है. जून महीने में होने वाले इस सेमिनार का खर्चा भारत सरकार उठाएगी. अमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी (ASM) के द्वारा आयोजित होने वाली इस सेमिनार में दुनिया भर के डॉक्टर रिसर्चर और वैज्ञानिक शामिल हो रहे हैं.
मीजल्स को कंट्रोल करने रास्ते निकलेंगे
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के बायोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.सुमित रावत ने बताया कि छोटे बच्चों में श्वास की बीमारी से संबंधित जो तकलीफ होती है, उन पर रिसर्च किया है. इस रिसर्च में हमने यह पाया है कि मीजल्स जैसी बीमारी जो कुछ हद तक कंट्रोल में हो गई थी. लेकिन यह दोबारा फिर से बढ़ती हुई दिख रही है. इसके कई अलग-अलग कारण है. हालांकि मीजल्स के वैक्सीन और टीका भी मौजूद हैं. हमारी टीम ने American Society for Microbiology (ASM) को रिसर्च भेजी थी, जिसने उसे स्वीकार किया है.
वैक्सीनेशन को लेकर जागरूक करना
इसके लिए हमने भारत सरकार को लिखा था कि जो भारत में इस तरह की रिसर्च की गई है, उसको पूरे विश्व पटेल पर आना चाहिए. ताकि इसके जो वैक्सीन हैं, उसमें अगर कोई सुधार की गुंजाइश है तो सुधार किया जाए. बच्चों को बूस्टर डोस देने की आवश्यकता हो तो बूस्टर डोज दें. वहीं अगर बच्चों में कुपोषण है, उनके माता-पिता में वैक्सीन को लेकर कोई भ्रांति है तो उनको दूर किया जाए.
हो सकता है कोरोना का साइट इफेक्ट भी
डॉ.सुमित रावत ने आगे बतलाते हैं कि मिजल्स के प्रभाव को कोरोना के साइड इफेक्ट के रूप में भी देखा जा रहा है. क्योंकि लॉकडाउन के समय 2 साल तक बच्चों में व्यवस्थित तरीके से टीकाकरण नहीं हो पाया था. यही वजह रही की बीच के समय में अस्पतालों में भी मिजल्स के मरीज नहीं मिलते थे, लेकिन अब यह अलग-अलग इलाकों से एक ही तरह के वायरस से संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं.
वहीं उन्होंने इस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने का मौका मिल रहा है. यह हमारे लिए बड़े ही भाग्य की बात है. साथ इसकी वजह से हमारे सागर का नाम भी विश्व पटल पर जा सकेगा.
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FIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 12:12 IST