दरभंगा : अपनी पौराणिक धरोहरों को हमेशा सहेज कर रखना चाहिए. क्योंकि जो धरोहर पूर्वज छोड़कर चले गए हैं, उसमें उनकी यादें बसी होती हैं. उपेक्षाओं के कारण ही दरभंगा जिला का एक प्रमुख एड्रेस फाइलों में गुम हो गया था. हालांकि यहां के प्रबुद्ध लोगों ने जब इस एड्रेस को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया, तो अब जाकर आधार कार्ड के एड्रेस में भी इसका चलन शुरू हो गया है.
मामला दरभंगा जिले के हायाघाट प्रखंड क्षेत्र के पोस्टल एड्रेस बिहार महिला विद्यापीठ मझौलिया से जुड़ा हुआ है. सन 1929 तक हायाघाट प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत आने वाले इस गांव का पोस्टल एड्रेस बिहार महिला विद्यापीठ मझौलिया ही हुआ करता था. लेकिन धीरे-धीरे महिला विद्यापीठ के अस्तित्व के साथ गांव का एड्रेस भी बदलता चला गया. ऐसे में गांव के ही एक स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों ने पहल कर पुराने पोस्टल एड्रेस को जीवित कराया. स्थानीय कमलेंदु झा बताते हैं कि संयुक्त बिहार में दो विद्यापीठ हुआ करते थे.
ऐसे शामिल हुआ एड्रेस
एक हिंदी विद्यापीठ, जो कि देवघर में था और दूसरा बिहार महिला विद्यापीठ, जो दरभंगा के इस गांव में हुआ करता था. पहले इसी पोस्टल एड्रेस से यहां कमकाज हुआ करता था. लेकिन बीच में यह एड्रेस विलुप्त हो गया. जब आधार कार्ड बनने का काम शुरू हुआ तब दिल्ली में कैंप करके अधिकारियों को समझाया गया कि जो एड्रेस अभी चल रहा है, वह गलत है. सही एड्रेस बिहार महिला विद्यापीठ मझौलिया के नाम से है.
उन्होंने बताया कि हम लोगों के दावे को सुनकर अधिकारियों ने पोस्टल डिपार्टमेंट से सबूत मांगा. इसके बाद पोस्टल डिपार्टमेंट के द्वारा सबूत दिया भी गया. तब जाकर आधार कार्ड में बिहार महिला विद्यापीठ मझौलिया शामिल हुआ.
धरोहर संजोने का किया जा रहा प्रयास
हालांकि, अब जमीन पर कुछ भी नहीं है. बस बुजुर्गों की धरोहर को सहेजने का प्रयास किया जा रहा है. वे बताते हैं कि यह 1929 की बातें हैं, जब यहां पर यह विद्यापीठ संचालित था. शायद सरकार को अब इसकी जानकारी भी नहीं होगी. जबकि उस जमाने में इस गांव को महिला सशक्तिकरण का प्रमुख केंद्र माना जाता था.
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FIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 19:51 IST