दरभंगा : इस वर्ष बिहार में सर्दी का मौसम देर से आया एवं मार्च के पहले दूसरे सप्ताह तक ठंडक पड़ने की वजह से लीची में फूल देर से आया एवं अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ही तापमान 40°C के ऊपर लगभग 10 दिन से ज्यादा रहने एवं तेज लू चलने की वजह से फल का समुचित विकास नहीं हुआ है. इस पर जानकारी देते हुए फल वैज्ञानिक डॉ. एस के सिंह बताते हैं कि विगत वर्षों में लीची के फल विकास की अवधि में कम से कम दो से तीन बार हल्की बारिश होने की वजह से फलों का विकास अच्छा हो जाता था, लेकिन इस अवधि में मात्र एक बार वर्षा होने की वजह से लीची के फलों का समुचित विकास नहीं हुआ है. बिहार की कृषि-जलवायु परिस्थितियों में, लीची में फूल आम तौर पर तब सबसे अच्छा आता है जब तापमान 15°C से 30°C के बीच होता है. फल लगने के लिए, थोड़ा गर्म तापमान, लगभग 20°C से 35°C, अनुकूल होता है. फलों के विकास के दौरान, 20°C से 30°C के बीच का तापमान इष्टतम विकास के लिए आदर्श होता है.
हालांकि, इन सीमाओं के भीतर उतार-चढ़ाव भी फसल को प्रभावित कर सकता है, इसलिए तापमान में बदलाव की निगरानी और प्रबंधन करना आवश्यक है. इस वर्ष लीची के फलों की क्वालिटी प्रभावित हुई है. इसकी मुख्य वजह अप्रैल के महीने में सामान्य से 2 से 6 डिग्री सेल्सियस तापमान का ज्यादा होना मुख्य है. फल विकास की अवधि में मई के महीने में पहली बार वर्षा होने की वजह से दिन का अधिकतम तापमान 30 से 35 डिग्री के मध्य रहने की वजह से लीची के फलों में अब अच्छा विकास देखा जा रहा है. यदि मई के महीने में इतना अच्छा अनुकूल मौसम नही रहता तो लीची की फसल और बुरी तरह से प्रभावित रहती. अप्रैल के महीना का मौसम लीची के अनुकूल नहीं था जिसकी वजह से किसी किसी बाग में फलों का विकास ठीक से नहीं हुआ.
लीची के अधिकांश बागों में फल का विकास अच्छा नहीं हुआ है. इसलिए संभावना है कि इस वर्ष गुणवक्ता युक्त शाही लीची के आने में कुछ विलम्ब हो सकता है. मशहूर शाही प्रजाति की लीची के फलों की तुड़ाई लगभग 20-25 मई के आसपास करते हैं. फलों में गहरा लाल रंग विकसित हो जाने मात्र से यह नही समझना चाहिए की फल तुड़ाई योग्य हो गया है. फलों की तुड़ाई फलों में मिठास आने के बाद ही करनी चाहिए. फलों की तुड़ाई से 15 दिन पहले किसी भी प्रकार का कोई भी कीटनाशकों का प्रयोग अवश्य बंद कर देना चाहिए.
लीची उत्पादक किसानों को यह जानना अत्यावश्यक है की सही परिपक्वता की अवस्था क्या है कैसे समझेगे की अब लीची का फल तुड़ाई के योग्य हो गया है. लीची फल की सही परिपक्वता अवस्था के कुछ विश्वसनीय संकेतक हैं, जिनसे निर्धारित होता है की अब फल तुड़ाई के योग्य हो गया है जैसे फलों की त्वचा का लाल रंग में परिवर्तित होना. फलों के लाल हो जाने मात्र से यह नहीं कहा जा सकता है कि फल तुड़ाई के योग्य हो गया है. इसके साथ-साथ कुछ अन्य गुण मिलने चाहिए जैसे फलों का रसीला होना, फलों के रस का कुल घुलनशील ठोस पदार्थ (TSS) 18-20 डिग्री ब्रिक्स के मध्य होना चाहिए, इसी के साथ फलों की अम्लता 0.5% से कम होना अच्छा माना जाता है. लीची के पेड़ में फल सेटिंग के लगभग 40 -45 दिन के बाद ही फल तुड़ाई योग्य होता है.
पूर्व वर्षों के अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है की यह अवस्था लगभग 20-25 मई के आस पास आती है. फलों के विकास को देखने से लग रहा है की गुणवत्तायुक्त फल के लिए कुछ विलम्ब करना पड़ सकता है. कभी कभी यह भी देखा जाता है की अधिक लाभ के प्रत्याशा में कुछ किसान सही परिपक्वता से पूर्व ही तुड़ाई कर लेते है , एसे फलों में मिठास कम एवं खट्टापन अधिक होता है. देर से तुड़ाई करने से फलों का लाल आकर्षक रंग में कमी आने लगती है. अतः सलाह दी जाती है की फलों की तुड़ाई सही समय पर ही करें.
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FIRST PUBLISHED : May 13, 2024, 21:17 IST