Uttarpradesh || Uttrakhand

Children are playing the game of death in Bihar, know how… Children are responsible or you see the report – News18 हिंदी

Share this post

Spread the love

नीरज कुमार/बेगूसराय: इन दिनों बच्चों के लाइफस्टाइल में मोबाइल गेम इस कदर शामिल हो गया है कि मोबाइल गेम के किरदार बच्चों के मानसिकता को ही बदल दे रहे हैं. बिहार के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों से आपको यह सुनने के लिए मिल रहा होगा कि बच्चे मोबाइल गेम खेलने के दौरान हत्या तक कर रहे हैं. खासकर बिहार में ऐसे मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. लोकल 18 से बेगूसराय में 11 वर्षीय अमित कुमार की मां ने बताया कि बच्चे मोबाइल पढ़ने के लिए मांगते हैं, लेकिन गेम खेलते रहते हैं मना करने पर गुस्से में आ जाते हैं. पंचायत जनप्रतिनिधि बम सिंह ने बताया कि लॉकडाउन में जब विद्यालय बंद हो गए तो ऑनलाइन पढ़ाई की प्रवृत्ति बच्चों में जगाई गई थी, लेकिन धीरे-धीरे बच्चों को मोबाइल पर पढ़ना कम गेम खेलना ज्यादा पसंद आने लगा. पब्जी, ब्लू वेल, फायर फाइट खेलकर बच्चे हिंसक होते जा रहे हैं .

आजकल बच्चों का जहां जिक्र आता है वहां गेम खेलने की चर्चा शुरू हो जाती है. हर माता-पिता की चिंता बच्चों को इस लत से छुड़ाना है. ऐसे में यह सवाल आपके मन में जरूर आता होता कि बच्चों के इस लत का जिम्मेदार कौन, बच्चा या आप? तो यह खबर हर माता-पिता के लिए जरूरी है आप भी पढ़िए.

यह भी पढ़ें- बदमाशों को गिरफ्तार करने गई पुलिस उलटे पैर भागी, अपराधी के पिता ने थानाध्यक्ष का चबाया कान

क्या आपके बच्चों में दिख रहा है यह लक्षण
बिहार में गेम खेलकर हिंसक हुए 12 वर्षीय बच्चे ने अपने ही पिता की लोडेड पिस्टल से भाई की जान ले ली. ऐसी कई घटनाएं सामने आई है जिसमें बच्चे मोबाइल गेम खेलकर हिंसक होते जा रहे हैं. साइकेट्रिस्ट डॉ . विश्वामित्र ठाकुर ने लोकल 18 को बताया कि जिस चीज को आप बार-बार करेंगे वह आदत में शामिल हो जाता है. जैसे बच्चा मोबाइल पर हिंसक गेम खेलते-खेलते हिंसक हो जाता है. आमतौर पर 21 दिन तक लगातार आप जो एक्टिविटी करते हैं वो एक्टिविटी आपकी आदत का हिस्सा हो जाती है. हिंसक गेम की यह लत इस प्रकार बच्चों की जान लेती है कि बच्चों को पता भी नहीं चल पाता है कि वह काल्पनिक कर रहा है या रियल में, सोचने की क्षमता खत्म होती है. और आगे चलकर बच्चे अपराधी तक बन जाते हैं.

ऐसे करें बचाव
डॉ . विश्वामित्र ठाकुर ने बताया कि बच्चों को मोबाइल की लत से दूर करना होगा. यह ध्यान रखना होगा कि बच्चे मोबाइल पर कहीं हिंसक गेम तो नहीं खेल रहे हैं. बच्चों में लर्निंग टेंडेंसी काफी ज्यादा होती है इसी वजह से बच्चे हिंसक गेम खेल कर हिंसक बन जाते हैं. ऐसे में बच्चों के लर्निंग टेंडेंसी पर भी ध्यान देना होगा. केडीएस हार्ट हॉस्पिटल के हार्ट स्पेशलिस्ट डॉ . पंकज सिंह ने बताया यदि किसी बच्चे में इस तरह की समस्या दिखाई दे या उसे वीडियो गेम खेलते समय तेज घबराहट और सांस संबंधी समस्या हो तो बच्चे को एक बार हार्ट स्पेशलिस्ट को जरूर दिखाना चाहिए. क्योंकि यह किसी सीरियस हार्ट प्रॉब्लम का प्राइमरी साइन हो सकता है.

Tags: Begusarai news, Bihar News, Children, Crime News, Local18, Mobile

Source link

Author:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ख़ास ख़बरें

ताजातरीन

× How can I help you?