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In this small village of Bihar, in 1942, girls from Gujarat used to come to study. – News18 हिंदी

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अभिनव कुमार/दरभंगा. जिस समय महिलाएं पर्दे में रहना ज्यादा पसंद करती थी. उस वक्त यहां पर महिला टीचर ट्रेनिंग कॉलेज संचालित किया जा रहा था जहां देश के विभिन्न राज्यों की महिलाएं पढ़ाई कर अपनी नई किस्मत की लकीरें गढ़ रही थी. जी हां हम बात कर रहे हैं दरभंगा जिले के हायाघाट प्रखंड क्षेत्र के मझौलिया गांव की. बिहार का यह छोटा सा गांव जहां 1942- 43 के आसपास महिला टीचर ट्रेनिंग कॉलेज हुआ करता था. जहां न सिर्फ बिहार बल्कि भारत के विभिन्न राज्यों की महिलाएं-बच्चियां यहां पर अपनी पढ़ाई के साथ टीचर ट्रेनिंग किया करती थी. दुर्भाग्य यह रहा कि यहां से मात्र दो बैच ही निकल पाए और आर्थिक तंगी के वजह से इस महिला टीचर ट्रेनिंग कॉलेज को बंद करना पड़ा. हालांकि, दोनों बैच से निकली यहां की छात्राएं देश के विभिन्न जगहों पर शिक्षा का अलख जगा गई.

ऐसे ही स्थानीय कमलेंदु झा बताते हैं कि उनकी दादी इस महिला टीचर ट्रेनिंग कॉलेज से पढ़कर बतौर शिक्षिका के तौर पर अपना योगदान दिया. उनकी दादी को इस कॉलेज से मिले सर्टिफिकेट आज भी वह बड़े ही संभालकर रखे हुए हैं. कमलेंदु झा बताते हैं कि यहां 42-43 के आसपास महिला टीचर ट्रेनिंग कॉलेज खोला गया था.

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लुप्त हो रही विरासत
आर्थिक तंगी के कारण आगे नहीं चल पाया और सरकार को दे दिया गया. सरकार ने अधिग्रहण कर उस जगह पर बेसिक स्कूल खोल दिया. उस समय महिलाओं को जो दो बैच निकाले थे उसमें मेरी दादी मां भी थी. उस वक्त यहां आस-पास के ही सिर्फ स्टूडेंट नहीं थे बल्कि गुजरात से भी छात्राएं यहां आकर पढ़ा करती थी. उनकी दादी मां की सहेली तारा बेन जिन्होंने गुजरात से आकर यहां महिला टीचर ट्रेनिंग कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी की और बाद में उन्होंने नौकरी भी की. वह बीच-बीच में घर पर भी आया करती थी. आज ये जगह बिल्कुल लुप्त होती जा रही है. इसको बचाने के लिए हमें कुछ करना चाहिए.

Tags: Bihar News, Darbhanga news, Education news, History, Local18

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