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Lok Sabha Elections 2024 घर-सोना सब बेच दिया, दो महीने से खाना नहीं खाया, पर्चा निरस्त होने पर फफक पड़ा प्रत्याशी, कहा- काट डालेगा इन सबको

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अमित सिंह- India TV Hindi

Image Source : INDIA TV
अमित सिंह का पर्चा निरस्त कर दिया गया।

लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है और इस दौरान लोग चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भर रहे हैं। लेकिन इसी प्रक्रिया में कई लोगों के नामांकन को रद्द भी हो जा रहे हैं। हाल में जौनपुर से एक निर्दलीय प्रत्याशी का पर्चा निरस्त कर दिया गया। जिसके बाद वह फूट-फूटकर रोने लगा। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।

पर्चा खारिज होने पर रोने लगा प्रत्याशी 

बता दें कि जौनपुर में 7 मई मंगलवार को नामांकन का पर्चा दाखिल करने का समय समाप्त हो गया। समय समाप्त होने के बाद नामांकन के पर्चों की जांच हुई। जांच में जौनपुर सीट से निर्दल प्रत्याशी अमित कुमार सिंह का पर्चा खारिज हो गया। अपना पर्चा रद्द होने के बाद अमित सिंह कलेक्ट्रेट परिसर में ही फूट-फूटकर रो पड़ा और अपना पर्चा खारिज होने का जिम्मेदार उसने अधिवक्ता और नामांकन कराने वाले अधिकारियों को ठहराया।

वीडियो सोशल मीडिया पर हुआ वायरल

वीडियो में अमित सिंह को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि “मैंने चुनाव लड़ने के लिए अपना घर बेच दिया, सोना बेच दिया, मेरा पर्चा खारिज कर दिया। अब मैं बर्बाद हो गया। डीएम के कार्यलाय में सीसीटीवी क्यों नहीं है, इसकी जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैंने 25000 रुपए ट्रेजरी में जमा किया है, वकील को 5000 हजार रुपए दिया है, वह भाग गया यहां नहीं आया कह रहा है हमारी गलती नहीं है। मैं 7 मार्च से खाना नहीं खाया हूं। अब तांडव होगा। जिन लोगों ने मेरा पर्चा खारिज किया है मैं उन्हें काट डालूंगा।”

जौनपुर सीट से लोकसभा चुनाव के लिए भरा था पर्चा

अमित सिंह जौनपुर के दरियावगंज गांव के रहने वाले हैं और उन्होंने जौनपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए नामांकन के अंतिम दिन यानी छह मई को एक सेट में पर्चा दाखिल  किया था। जिसे नामांकन पत्रों की जांच में उनके दस्तावेज में जमानत राशि का चलान न होने के कारण उनका पर्चा निरस्त कर दिया गया। पर्चा खारिज होने के बाद अमित सिंह फूट फूटकर रो पड़े। उन्होंने रोते हुए मीडिया को बताया कि मैंने नामांकन भरने के लिए बीते 30 अप्रैल को 25 हजार रूपए जमा किया था। उसकी चालान भी मैंने वकील को दिया था। वकील ने मेरे नामांकन के साथ चालान नही लगाया। उसने नामांकन में लगे अधिकारियों पर भी आरोप लगाया कि पर्चा लेते समय किसी ने नहीं बताया कि चालान नहीं लगाया गया है। यदि बताया होता तो मैं उसे लगा देता।

(जौनपुर से सुधाकर शुक्ला की रिपोर्ट)

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